भारतीय युवाओं के लिए कॉपरेटिव संस्कार की जरूरत हैं, सभी युवाओं को रोजगार देना है तो हर क्षेत्र में सहकारिता को अपनाना होगा।
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भारत में रोजगार की बात करते है और इसमें भी सभी को रोजगार की चर्चा करते हैं ,तो सभी को लगता है कि ये मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव हैं लेकिन मैं यहां बहुत ही विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हिंदुस्तान के सभी युवाओं जिन्होंने जिस भी स्तर की पढ़ाई पूरी कर ली है उन्हे उसी स्तर के रोजगार में लगाया जा सकता हैं, ये बहुत मुश्किल नहीं हैं। हमारे यहां पुराने जमाने से एक विधा थी जिसे हम सहकारिता व्यवस्था कहते थे, और अंग्रेजी में इसे कॉपरेटिव सिस्टम कहते हैं। हमारे भारत में ये व्यवस्था केवल दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में ही काम कर रही है और वो भी कुछ स्थानों पर जैसे अमूल के नाम से गुजरात में बहुत ही प्रसिद्ध सहकारिता व्यवस्था है तथा बहुत पुरानी भी हैं। हम जब बच्चे होते थे तो हमारे गांवो में सभी लोग कॉपरेटिव सोसायटी चलाते थे जिसमे हर माह कुछ पैसे जमा किए जाते थे जिससे गांवो में बहुत से परिवारों की जरूरत के वक्त काम आते थे। आज से लगभग 50 वर्ष पहले की बात कर रहा हूं मैं। अगर पचास साल पहले हमारे गांवो में लोग कोऑपरेटिव व्यवस्था को खुद चलाते थे तो अब क्यों नहीं हम इस व्यवस्था पर काम करते है। हमारे गांवो की कॉपरेटिव व्यवस्था को देख कर जब अंबानी तथा अन्य बिजनेस वाले लोगों ने इतने बड़े बड़े कॉरपोरेट सेक्टर खड़े कर लिए, तो गांवो में लोग अपनी कॉपरेटिव सिस्टम को दुबारा क्यों नही खड़ा कर सकते हैं, बिलकुल कर सकते हैं। लेकिन हमे इस व्यवस्था को हर क्षेत्र में लेकर आना पड़ेगा, चाहे वो दुग्ध उत्पादन हो, चाहे वो कृषि हो, चाहे स्कूल कॉलेज तथा विश्वविद्यालयों का निर्माण एवम् संचालन हो, चाहे मॉल का निर्माण हो, चाहे बिल्डिंग निर्माण हो, चाहे फर्टिलाइजर तैयार करना हो, चाहे कोई डिपार्टमेंटल स्टोर हो, चाहे स्पोट्र्स स्टेडियम का संचालन हो , या कोई सिक्योरिटी सर्विस संचालन हो, ऑटो गैरेज हो, टी स्टॉल की चेन हो, कोल्ड स्टोरेज की चेन हो, कम्युनिटी सिक्योरिटी सर्विस हो, हमे इस कॉपरेटिव व्यवस्था को प्रारंभ करना पड़ेगा। युवा साथियों, कोई कार्य मुश्किल नहीं होता परंतु जरूरत इस बात की है कि हम सभी मिलकर इस व्यवस्था से कार्य शुरू करें। कॉपरेटिव व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें कोई भी कार्य ग्रुप में करने की वजह से हर प्रकार की क्वालिटी वाले युवा हमे एक प्लेटफार्म पर मिल जाते हैं, इससे एक फायदा यह होता है कि इसमें कुछ युवा ऐसे भी आ जाते है जिनमे लीडरशिप क्वालिटी नही हैं, जिनमे आर्गेनाइजेशनल स्किल नही है, परंतु जब सभी युवा ग्रुप में सहकारी व्यवस्था के कार्य करेंगे तो सभी लोग आसानी से बेहतर कार्य कर सकते हैं। सभी की स्किल एक साथ मिलकर बेहतरीन कार्य करने में सक्षम हो पाएंगे अन्यथा अलग अलग तो हर इंसान को कोई भी व्यवसाय करने में कई दिखते आते हैं, जैसे ; समय की, धन की, बिजनेस स्किल, मार्केटिंग स्किल की, इससे उभरने का एक हो तरीका है और वो कॉपरेटिव सिस्टम है, इसे अपना कर हम देश के हर युवा को रोजगार से जोड़ सकते हैं। मैं यहां केवल यही कहना चाहता हूं कि जब कॉरपोरेट सेक्टर इतनी तरक्की कर रहे है तो कॉपरेटिव सिस्टम ज्यादा तेजी से काम करेगा और हमारे सभी ग्रामीण लोगो को इसका महत्व समझना पड़ेगा, ये ही देश के सौ प्रतिशत युवाओं को रोजगार में लगाने का तरीका हैं। कैसी विडंबना है कि ग्रामीण लोग कॉरपोरेट सेक्टर के शेयर तो खरीदते है लेकिन कॉपरेटिव को बढ़ावा देने के लिए आगे नहीं आते है, आज हमारे सामने कितने क्षेत्र है जिसमें कॉपरेटिव व्यवस्था लाई जा सकती है, जैसे ;
1. शिक्षा का क्षेत्र
2. चिकित्सा का क्षेत्र
3. रीयल एस्टेट
4. एग्रीकल्चर सेक्टर
5. पशुपालन
6. एग्रीकल्चरल बायोप्रोडक्ट
7. उद्योग धंधे
8. सर्विस सेक्टर
और भी बहुत सेक्टर है जिसमे कॉपरेटिव व्यवस्था को लाना चाहिए, जिससे सभी युवाओं को रोजगार दिया जा सकता हैं, ये कोई मुश्किल कार्य नही हैं। आओ मिलकर इस व्यवस्था पर कार्य करें।
जय हिंद, वंदे मातरम
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी।
सेवानिवृत्ति उपनिदेशक नेहरू युवा केंद्र
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